सचमुच यह वही कहावत है ' भोज घड़ी कोहडा रोपने वाली '। यानि जब पार्टी में सभी खाने आ जायें तो फ़िर खेत में सब्जी उपजाने की बात हो । इन दिनों बिहार के बाढ़ में कुछ ऐसा ही दिख रहा है। कोसी की विकराल भयावह धारा सभी को लीलने को बेताब है। कई लोग डूबकर मर चुके हैं। लाखों लोग अब भी जान बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। अभी जरुरत है बगैर एक पल भी गवाएं तुंरत ज्यादा से ज्यादा लोगों को मौत के मुंह से निकलने की। लेकिन दुखद यह की ऐसे समय में भी नेता टाइप लोग एक दुसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं। कोशी हाई डैम परिय्जना की बात की जाने लगी है. कुछ कह रहे हैं की हाई डैम नेपाल से जुडा मामला है जिसमे राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती है। यानि जब बाढ़ आई तो इन्हे कोशी हाई डैम सूझने लगा। इतने सालों तक किसी ने उधर देखना भी मुनासिब नहीं समझा था। जब कोशी अपने रस्ते बह रही थी। जब आपके हाथ मौका था तो आपने बैराज को दुरुस्त करने की कोई पहल नहीं की। अभी जब जरुरत लोगों को निकलने की है तो आपको बैराज बनाने की यद् आ रही है..मेरे नेताओं प्लीज़ अभी अपना सारा ध्यान मौत के मुंह में फंसे हमारे बच्चों और अन्य लोगों को निकलने में लगाइए। एक-दुसरे पर आरोप लगाने में समय जाया मत कीजिये... राहत कार्य चलाना सरकार की जिम्मेवारी है लेकिन हम सभी इसमे सहयोग कर सकते हैं. आसपास जिले के लोग भी रहत कार्य बाँट रहे हैं कृपया आप भी साथ दीजिये।
धन्यवाद।
Friday, August 29, 2008
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2 comments:
अफसोसजनक स्थितियाँ....प्रभावी विचारणीय आलेख!!
Bihar ke budhijiwi varg palayan kar chuke hain. Aur jo bache hai wah sirf sarkari naukar hai. Janata ki awaj ko kaun sunata wah to nitish ke JANATA DARBAR ka intjar karata hai wanhi kuchh ek ka fariyad sun liya jata hai. sare budhijiwi varg ka BETA-BETI Bihar se bahar hai ya to PADH rahen hain ya Fir Naukari.
Waise app sahi hain ki wakt abhi nahi hai ye baat karana lekin big samasya abhi utpan hui hai isliye Abhi se log rasta dundh nikale.......
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