Wednesday, October 29, 2008

मुंबई को उतारना होगा अपने चेहरे से घटिया नकाब

मुंबई की घटना लगातार बढती ही जा रही है. अब तक कई लोग पीट-पीट कर खदेड़े जा चुकें हैं। कई भीड़ में मारे भी गए हैं। एक आक्रोशित और उर्जावान नौजवान की आवाज़ को भी आप-हम सभी ने इसी मुंबई में दफ़न होते देखा। लेकिन लगता है अब ऐसी आवाज दबने वाली नहीं है. मुंबई को अपने चेहरे से उस घटिया नकाब को तुंरत उतारना ही होगा जो उसे बदरंग बना रहा है। बहुत हुआ. अब मुंबई को अपने खून-पसीने से सींचने वालों को जागना होगा। उन्हें यह सोचना होगा की मुंबईवासी होने से पहले वह भी एक हिन्दुस्तानी हैं. उनका देश भी भारत ही है. उन्हें भी बाबा साहब आंबेडकर के बनाये कानून को ही मानना चाहिए ना की राज ठाकरे की संकुचित मानसिकता को। मुंबई को हिंदुस्तान की आर्थिक राजधानी माना जाता है। मुंबई को यह सम्मान किसी राज ठाकरे टाइप आदमी से नहीं मिला है। और ना ही अपने को मुंबई का दादा समझने वाले उनके चाचा जी से । मुंबई को यह सम्मान तो हम हर हिन्दुस्तानियों ने दिया है चाहे वह यूपी, बिहार के हों या केरला के। मुंबई तो सिर्फ़ मुंबई की है, वह किसी एक की जागीर नहीं। नफरत फैलाकर अपनी रोटी सेंकने वाले का मुँहतोड़ जवाब मुंबई के लोगों को ही देना होगा। आखिर कब तक एक परिवार मुंबई को अपनी डुगडुगी पे नचाता रहेगा। बाहर निकलकर अपना रास्ता ख़ुद बनाइये....जय हिंद, जय भारत।

Sunday, October 19, 2008

राजनीति कीजिये, लेकिन विकाश के लिए

देर से ही सही लेकिन मायावती ने अपना फ़ैसला बदलकर एक अच्छी पहल की है। राजनीति तो होनी ही चाहिए। लेकिन स्वस्थ और पोसिटिव। रेल कोच फैक्ट्री कहीं बने लेकिन तरक्की तो उत्तरप्रदेश की ही होगी। यदि स्टेट में यह फैक्ट्री नहीं लग पाती तो इसका कहीं न कहीं नुकसान मायावती जी को भी उठाना पड़ता। अब नैनो प्लांट को ही लीजिये। ममता बनर्जी के अड़ियल रुख के चलते टाटा को बंगाल से पीछे हटना पड़ा। यह बंगाल सरकार की नाकामी तो है ही ममता बनर्जी की भी हार है। निश्चित तौर पर जमीन देने वाले किसानों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए था। ममता जी इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करतीं लेकिन एकदम से रास्ता ही रोक देना ग़लत है। ऐसे कदमों का आम जनता को भी विरोध करना चाहिए।
दरअसल, कुछ राजनेता वोट की ग़लत राजनीति कर जनता को गुमराह करने लगे हैं। कहीं जमीन के नाम पर तो कहीं बाटला हाउस एनकाउंटर के नाम पर। नैनो के मुद्दे पर बंगाल को एक झटका देने के बाद अब ममता जी यहाँ पहुंचीं हैं। नैनो मामले में उनका साथ देने सपा नेता अमर सिंह बंगाल गए थे। अब सपा नेता बाटला पहुंचे हैं तो ममता जी का आना फ़र्ज़ बनता है। खैर बाटला हाउस का मामला जांच से जुडा है। इन नेताओं को घटिया राजनीति करने के बजाय निष्पक्ष समिति से इसकी जांच की मांग करनी चाहिए। आख़िर उन्हें भी समझना होगा की जब देश रहेगा तभी राजनीति भी चलेगी। इसीलिए देश के मुद्दे पर कोई कदम उठाने से पहले नेताओं को अपनी जिम्मेवारी समझनी चाहिए....राजनीति हमेशा विकाश के लिए कीजिये, विनाश के लिए नहीं.