Sunday, January 3, 2010

रेलयात्रियों को बचाइए

पिछले हफ्ते मैं मथुरा से लौट रहा था। रास्ते में एक गार्ड साहब मिल गए। उनसे कुछ देर रेल पर बात करने का मौका मिला। इन दिनों वह आगरा-दिल्ली रूट की मेल एक्सप्रेस ट्रेन में चलते हैं। मैंने उनसे पूछा-ममता जी के टाइम में रेल का सिस्टम कैसा चल रहा है। छूटते ही उन्होंने कहा-चौपट है। उन्होंने कहा की रेल २४ घंटे चलने वाला सिस्टम है। इसपर पूरा ध्यान देने की जरुरत है, लेकिन ममता जी का ध्यान तो बंगाल पर रहता है। ऐसे में भला रेल का क्या होगा। नए साल की खुशियों के बीच ही एक ही दिन में तीन-तीन रेल हादसों की खबर सुनते ही आगरा वाले रेलवे गार्ड की बात याद आ गई।
रेल मंत्री ममता बनर्जी का ज्यादा से ज्यादा समय बंगाल में बीतता है। ध्यान भी बंगाल के चुनाव पर है। कभी-कभार वो दिल्ली आती भी हैं तो उसमे वह पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद की खामियां निकलवाने में रह जाती हैं। ऐसे में भला भारतीय रेल का क्या होगा ? यही होगा जो हम देख रहे हैं। जो झेल रहे हैं। मौत पर मुआवजा बाँटने का खेल चलता रहेगा। इतने हादसे हो गए हैं की अब लोग कहने लगे हैं की ममता को लोहा नहीं धार (फल) रहा है। लालू के ज़माने में इतने रेल हादसे नहीं होते थे। लालू प्रसाद ने रेल में क्या 'करिश्मा' किया यह तो ममता जी बता चुकी हैं। लेकिन लालू के कार्यकाल का एक सच यह भी है की उनके समय में हादसे कम हुए थे। यह आंकड़ा ममता जी की ओर से प्रस्तुत श्वेत पत्र भी दर्शाता है। श्वेत पत्र के अनुसार पिछले पांच साल में रेल दुर्घटनाओं की संख्या...
2004-05----234
2005-06----234
2006-07----195
2007-08----194
2008-09----177

लालू प्रसाद ने भारतीय रेल को दुर्घटना रहित नहीं कर दिया था, लेकिन उनके समय में दुर्घटनाएं कम हुई थीं। लेकिन ममता जी जब से आईं हैं तब से कई दुर्घटनाएं हो गईं। रेलवे का इतना बड़ा नेटवर्क है की उसमे एक-दो दिन में कहीं न कहीं कोई दुर्घटना होती ही है। लेकिन वह यार्ड में शंटिंग के समय होती है या किसी मालगाड़ी का पहिया यार्ड में उतर जाता है। ये दुर्घटनाएं खबर इसलिए नहीं बनती है की यह बहुत ही मामूली होती है। इसमें कोई जख्मी नहीं होता है या इससे रेल ट्राफिक बाधित नहीं होता। लेकिन इन हादसों को भी कम करना रेलवे की जिम्मेवारी है. लेकिन अब तो ऐसे हादसों के बाद भी कुछ होता नहीं दिख रहा है जिसमे यात्रियों की जानें जा रही हैं. सिर्फ मुआवजा ही बांटा जा रहा है.
यह समय है रेल मंत्री को गंभीरता से सोचने का। प्रधानमंत्री को भी इसपर विचार करना चाहिए की आपका रेल का नेटवर्क कैसा चल रहा है...कहीं ऐसे हालात ना हो जाये की लोगों को ट्रेन में चढ़ने में भी डर लगने लगे।

4 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

रेलमंत्रियों के लिए रेल वोट का खेल भर है...यहां वहां दो-चार नई गडि़यां चला लो, अपने इलाके में रोजगार के लिए रेल का दोहन कर लो. बस्स्स्स्स...
यात्री जाएं भाड़ में.

दिनेशराय द्विवेदी said...

रेल दुर्घटनाओं से कुल राष्ट्रीय क्षति का अनुमान लगाया जाए तो रोकने का खर्च कम बैठेगा।

Udan Tashtari said...

अफसोसजनक..दुखद.

Neha Pandey | Latest Hindi Breaking news world | Sports | all said...

apka blog bhut hi attractive hai, pad kr kafi acha lga.
ek bar hmare is blog ko bhi jrur pde

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