Saturday, April 4, 2009

' भय हो ' ऑस्कर के लिए जाता तो क्या होता?

पहले चला जय हो। खूब बजा। खूब सुना गया। अब मैं ' भय हो ' गाने को खूब सुन रहा हूँ। इस गाने में गजब का खिंचाव है. मैं इसके राजनितिक चेहरे की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं सोंच रहा हूँ यदि ऑस्कर जितने वाली रहमान साहब के जय हो की जगह यदि ' भय हो ' को इसी सुर-ताल के साथ भेजा जाता तो क्या होता ? यह बात कई दिनों से मैं सोच रहा था। मैं दुबारा कह रहा हूँ की दोनों गाने के राजनीतिक पार्ट पर मत जाइये। उसके फिल्मांकन और उसके संगीत को देखिये। टीवी पर यह गाना चलते ही गाँव-घर की याद आने लगती है। हर्मोनिअम, झाल और तमाम वो पुराने वाद्य यन्त्र याद आ जाते हैं. ये वाद्य यन्त्र खासकर अब शहरों में तो नहीं ही दिखते हैं। गाँव में भी इंग्लिश बैंड आ गया है। भय हो गाने की सुर-ताल, गाने वाले बच्चों की ऑंखें..सचमुच गजब है। मुझे यह नहीं पता की इसे किसने लिखा है। या इतना प्यारा म्यूजिक किसने दिया है। यह भी नहीं पता की कांग्रेस के जय हो या बीजेपी के भय हो का वोटर पर कितना जादू चल पायेगा। लेकिन इतना तो मुझे लगता ही है की म्यूजिक और राग के हिसाब से भय हो थोड़ा आगे निकल गया...जय हो भारत की।