एक जमाना था जब साहब टाइप लोग बाथरूम में ही होते थे। फोन करने पर साहब सामने नहीं आते थे, लेकिन जवाब आता था, साहब बाथरूम में हैं। एक बार एक जिले के डीएम के आवास पर मैंने फोन किया। किसी खबर पर प्रतिक्रिया लेनी थी। फोन ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने कहा की साहब अभी बाथरूम में हैं। एक घंटे के बाद किया तो भी वही जवाब साहब अभी..... फ़िर एक घंटे बाद भी वैसा ही। कुल मिलकर साहब से बात करने का कोई मौका नहीं। लेकिन अब जमाना बदल रहा है तो फोन वाला पैटर्न भी बदलना होगा। अब तो मोबाइल आ गया है। इसके लिए इसके हिसाब का बहाना चाहिए। सो, भाई लोग इसका भी हल निकालने में देर नहीं किए। खासकर दिल्ली में रहने वाले साहब टाइप के लोग अब बाथरूम से सीधे मीटिंग में आ गए हैं। ये साहब टाइप लोग मीटिंग में कम ही बैठते हैं लेकिन मीटिंग जरुर इनकी जुबान पर हमेशा बैठी होती है। रिंग आते ही झट से काट देंगे। या हेल्लो कहते ही कहेंगे अभी मीटिंग में हूँ बाद में करना। इसी तरह के एक साहब इन दिनों एक चैनल में हैं। चैनल में उनकी औकात बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन अपने उपर वाले से सिखा होगा। वह भी मीटिंग में ही लगे रहते हैं। कुछ लोग तो उनके दफ्तर में ही पहुँच कर उन्हें रिंग करते हैं..जवाब आता है अभी मीटिंग में हूँ। जबकि वह कैम्पस में ही सिगरेट फूंक रहे होते है। लोग कहते हैं की एक दिन उनके पिता फोन कर रहे थे। बेचारे की आदत ख़राब हो गई है सो उन्हें भी मीटिंग कहकर फोन काट दिया। उस समय वह एक अपनी आधी उम्र की बाला से ठिठोली कर रहे थे। अब उन्हें कौन समझाये की कम से कम बाप से तो बात कर लिया करो.
धन्यवाद.
Saturday, July 5, 2008
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2 comments:
pragati bhai
main aapko bahut miss karta hoon. achha hua ki bloggiri ki kaman aapne bhi tham lee hai. ummid hai ki blog ke madhyam se aapse hamesha judaa rahoonga. blog par koi comment isliye nahin de pa raha hoon, kyonki ise main padh nahin paa raha. shayad font ki problem hai. ise theek karen, to padhne ka mazaa le paaunga.
ghanshyam, ranchi
भाई ये नये ज़माने का नया शगल है। तरक्की की आंधी में रिश्ते न टूटें, मैं आपसे यही गुजारिश करूंगा। ईश्वर हमारे रिश्ते को जड़त्व प्रदान करे।
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