Friday, July 11, 2008

अरे ये क्या हुआ....

नरेन्द्रनाथ के यह कहते ही की ..कोमल जी नहीं रहे. एक हाथ में तौलिया लिए मैं ठिठक गया। नरेन्द्र उस दर्दनाक घटना के बारे में बता रहे थे और मैं आगे की वो पुरी बदहवास तस्वीर बना रहा था। पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ। ऐसा भला कैसे हो सकता है। लेकिन उन्होंने कहा की अभी प्रदीप से बात हुई है। तुम भी कर लो। तब तक राकेश प्रियदर्शी फ़िर गणेश का फोन आ गया। सभी के जुबान से सिर्फ़ इतना ही निकल रहा था की अरे ये क्या हुआ। मैं सुबह कहीं निकलने वाला था। लेकिन आगे कदम बढ़ाने की हिम्मत नहीं हुई सो कुर्सी पर ही बैठा रहा गया। आनन् फानन में पहले कंचन जी को गोरखपुर फोन लगाया। यह सुनते की उनकी बॉडी वहां है। पोस्टमार्टम हो रहा है। मुझे सांप सूंघ गया। रात में ही राकेश से कोमल की चर्चा हो रही थी। लेकिन यह किसे पता था की हर काम धीरे-धीरे समझ बुझ के साथ करने वाले कोमल जी जिंदिगी की रफ्तार में इतने आगे निकल जायेंगे। लेकिन हुआ कुछ ऐसा ही। वो बनार्शी अदा वाले कोमल भइया हमारे बीच नहीं रहे। पटना से मुजफ्फरपुर तक की वो आठ साल की लम्बी याद कोई नहीं भुला पायेगा। मैं जब टेंसन में आता था तो वह कहते थे...अरे छोड़ो ये सब तो लगा रहता है. हर सुख-दुःख वो बतियाते थे. यह उनका व्यव्हार ही कहें की पत्रकारिता से जुड़े लोग तो छोडिये उनका मुजफ्फरपुर के उन आम लोगों , जिस बीट पर वह कम करते थे, से भी उतना ही लगाव था। वह हमेशा अपने परिवार की चिंता करते रहते थे। अपने छोटे भाई की नौकरी के लिए वह हमेशा चिंतित रहते थे। वह बताते थे की छोटी उम्र से ही उन्होंने संघर्ष किया है। पिछले हफ्ते ही उनसे फोन पर बात हो रही थी। उन्होंने कहा था..तोहर ब्लॉग के प्रयाश ठीक हा, अभी एक्राके पुरा नहीं पढ़ले वाणी। फुर्सत मिली तब परहम और कमेन्ट भी करम.....लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इस दुखद समाचार को सुनते ही राकेश प्रियदर्शी और गणेश मेहता ने फोन किया. दोनों फ़ौरन गोरखपुर के लिए निकल गए. पटना से विवेक श्रीवास्तव भइया से बात हो रही थी। उन्होंने तुंरत कोमल जी के परिवार के लिए कुछ कदम उठाने की सलाह दी जिसे सभी लोगों ने मान लिया। अब तो हमारे बीच कोमल जी नहीं रहे, लेकिन भरा पुरा उनका परिवार आज भी है जिसकी चिंता हमेशा वो किया करते थे। ऐसे में हम सभी साथियों की तरफ़ से उनके परिवार के लिए उठाया गया कदम ही उन्हें सच्ची स्राधान्जली होगी।

3 comments:

राजीव किशोर said...

कोमल जी का जाना बेहद दुख दे गया। आंखों के सामने उनका चेहरा आंखों के सामने तैर रहा है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। हम सब को उनके परिवार के लिए कुछ करना चाहिए। इसमें मेरा सहयोग कैसा होगा मुझे इसके बारे में जरूर बताइएगा। चूंकि सामूहिक रूप से करने से उनके परिवार को काफी मदद मिलेगी।

nikaspuriya.com said...

कोमल जी का जाना बेहद दुखदाई घटना है. यह जानकर दुःख और भी बढ़ जाता है की वो अपने लिए नहीं बल्कि अपने परिवार के लिए संघर्षरत थे, बचपन से ही. संकट की इस घरी में भगवान उनके परिवार को आगे रास्ता दिखाए यही कामना है. प्रगति ने जो सुझाया है उसमें मेरी जो भूमिका निर्धारित होगी मैं उसके लिए तैयार हूँ. ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दें.
विनय कुमार

Kumar Jitendra Jyoti said...

apne shuruati daur k sathi Komal jee k bare mein aisi khabar milne ki ummid nahi thi. Bhagwan unki atma ko shanti aur parijano ko is waqt se ladne ka sahas de. hum sab is ghari mein unke poore pariwar k saath hain. Jaisa vichar ho, khabar kijiyega.
Kumar Jitendra Jyoti