Wednesday, February 11, 2009

गजब: ठेठ गाँव में लिए गए शहर के फैसले

दुनिया को सभ्यता सिखानेवाला बिहार। अब फ़िर से हमारे सामने है। कभी शिक्षा का केंद्रबिंदु और महात्मा गाँधी की कर्मभूमि रहा बिहार अपने इतिहास को भूलने लगा था। भगवान बुद्ध की इस धरती को लोग दुसरे नज़र से देखने लगे थे। बिहारियों का क़द्र कम हो गया था। लेकिन एक बार फ़िर बिहार अपने ऐतिहासिक दिनों के नजदीक लौटने की कोशिश कर रहा है। मंगलवार को बिहार सरकार ठेठ गाँव में थी। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक गाँव में ही हुई। यह दिन इसलिए खास था की अब तक शहर की बैठकों में ही गाँव के फैसले लिए जाते थे। लेकिन ऐसा बिहार के इतिहास में पहली बार हुआ की शहर के फैसले भी गाँव में लिए गए। बेगुसराय जिले का बरबिघी गाँव एक उदाहरण बन गया।
दरअसल, नीतिश कुमार इन दिनों विकाश यात्रा पर निकले हैं। गाँव में वह घूमते हैं। जनता से सीधे रु-ब-रु होते हैं। सबसे बड़ी बात यह की वह पब्लिक से सरकार की ग़लत नीतियाँ और शिकायत बताने को कहते हैं। यह यात्रा कितना राजनितिक है यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन इससे तत्काल कई फायदा भी दिख रहा है। यात्रा का दूसरा चरण सीतामढी होकर गुजरा। मुज़फ्फरपुर के एक पत्रकार साथी प्रभात जी से मैंने इस बारे में बात की। उन्होंने एक लफ्ज में कहा की आप सीधा यही समझिये की मुख्यमंत्री के जाने के बाद जिले के डीएम और एसपी यही सोचते हैं की बहुत बड़ा संकट टल गया। मतलब साफ है। सुबह नीतिश सैर पर निकलते हैं। उनके साथ कोई अधिकारी नहीं होता है। सिर्फ़ उस गाँव के कुछ लोग होते हैं। रात में चौपाल लगती है। और वहीँ टेंट में भोजन होता है। इस यात्रा का प्रभाव तो बेहतर दिख रहा है। इससे बिहार को तो फायदा जरुर होगा। अब नीतिश और उनकी पार्टी को कितना फायदा होता है यह तो जनता ही तय करेगी।

2 comments:

अनिल कान्त said...

चलो किसी बहाने ही सही लोगों का भला तो होगा ही ...

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

सुरेन्द्र Verma said...

Haan Bhai Nitish ji se hi to abhi Bihar hai. Isake pahale Bihar kanha tha Gautam Budhdha ki sabhi baat karate par Gautam Budhdha ham-aap kabhi nahi ho sakate kyonki abhi BHRASHTACHAR ka jamana hai bhai. Nitish ko kaam karane digiye wah-wahi mat lutiye.