मुंबई हादसे के बाद से ही भारत सरकार ने सख्त रवैया अपनाया और पाकिस्तान को वांछित आतंकियों की एक सूची सौंप दी। विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने तो सैन्य कार्रवाई से भी परहेज न करने की बात कहकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर माहौल गर्मा दिया था। निश्चित तौर पर अब भारत जैसे सहनशील देश के सामने इसके सिवाय कोई चारा नहीं बचा था। लेकिन मेरा मानना है कि भारत को तो उसी समय पाकिस्तानी आतंकी शिविरों पर हमला कर देना चाहिए था जिस समय हमारे देश से विमान का अपहरण हुआ था।
काठमांडू से नई दिल्ली आ रहे विमान का १९९९ में आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। १७० सवारियों की जान-माल का ख्याल करते हुए तत्कालीन सरकार ने मसूद अजहर जैसे आतंकी को रिहा कर दिया था । आतंकियों को छोडऩे के बाद ही विमान सवारों को रिहा किया गया था । निश्चित तौर उस समय सरकार के पास भी कोई विकल्प नहीं था। विमान और हमारे लोग उनके कब्जे में थे। लेकिन क्या भारत इतना असहाय हो गया था कि विमान छुड़ाकर लाने के बाद इतने साल तक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। भारत ने आज तक आतंक के खिलाफ लडऩे का कोई मजबूत स्टैंड नहीं उठाया। यही कारण रहा कि कंधार विमान के बदले आतंकियों को रिहा करना भारत को इतना महंगा पड़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि मात्र दो साल में भारत में ५००० से ज्यादा लोग आतंक के शिकार हो गए। यदि तत्कालीन सरकार विमान अपहरण करने वालों और उसे शह देने वाले देश के खिलाफ ऐसी ही सैन्य कार्रवाई की चेतावनी देती तो शायद आज एेसी नौबत नहीं आती। आज हमारा ताज मुंबई ही नहीं देश का भी सरताज रहता। मुंबई को हादसे का गवाह बनने से बचाया जा सकता था। संसद भवन तक के हमले को रोका जा सकता था। भारत को उसी समय यानी विमान छुड़ाकर लाने के अगले ही दिन अपने पड़ोसी देश के आतंकी शिविरों पर हमला कर देना चाहिए था। इस कदम के बाद यदि दोनों मुल्कों में जंग होती भी तो भारतीयों को गर्व ही होता। दब्बूपन और घुट-घुटकर मरने से तो अच्छा होता कि एक बार आर-पार की लड़ाई ही हो जाती। दिक्कत यही है कि हम अमेरिका की चालबाजी में फंस जाते हैं। हमारे घर में घुसकर नंगा नाच करने वालों को पर जब हम कड़ी कार्रवाई करने की बात करते हैं तो अमेरिका हमें रोकता है। विदेश मंत्री कोडोलिजा राइस का दौरा भी हमने देखा। वह सिर्फ भारत ही नहीं आईं बल्कि पाकिस्तान पहुंचकर वहां भी अपनी निकटता दिखाई। लेकिन क्या अमेरिका भी एेसा करता है। क्या वह पाकिस्तान के कबायली हिस्सों में घुसकर कार्रवाई नहीं करता है। पाकिस्तान के आतंकी शिविरों से हजारों किलोमीटर दूर स्थित अमेरिका को इतना खतरा हो सकता है तो नजदीकी देश भारत को क्यो नहीं। मेरा मानना है कि भारत को पाकिस्तान से कड़े शब्दों में दो टूक पूछना चाहिए। खुफिया सबूत भी बताती है कि मसूद अजहर आज भी पाकिस्तान में है और वहीं से भारत के खिलाफ आग उगल रहा है।
चांद से लेकर जमीं तक और शिक्षा से लेकर विज्ञान तक में भारत ने एक नई ऊंचाई तय की है। अब हमारी पहचान भी दुनिया के सामने एक शक्तिसंपन्न राष्ट्र के रूप में है। एेसे में अब भारत सरकार को चुपचाप बैठकर पाकिस्तान की कार्रवाई का इंतजार किए बगैर तुरंत सख्त कदम उठाना चाहिए। पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर हवाई हमला करके उसे बर्बाद कर देना चाहिए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को वह गलती नहीं करनी चाहिए जो हमारे देश के नेताओं ने कंधार अपहरण के समय किया था।
जय हिन्द , जय भारत।
Tuesday, December 9, 2008
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